पृष्ठ:प्रेमाश्रम.pdf/२६२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२६७
प्रेमाश्रम

अब रानी हो गयी है। क्या इतना गर्व भी न होगा? यहाँ तो मरने की भी छुट्टी न थी, जाता क्योंकर?

ज्ञानशंकर रात भर के जागे थे, भोजन करके लेटे तो तीसरे पहर उठे। राय साहब दीवानखाने मै वैठे हुए चिट्ठियाँ पढ़ रहे थे। ज्ञानशंकर को देख कर बोले, आइए, भगत जी, आइए! तुमने तो काया ही पलट दी। बड़े भाग्यवान हो कि इतनी ही अवस्था में ज्ञान प्राप्त कर लिया। यहाँ तो मरने के किनारे आये, पर अभी माया मोह से मुक्त न हुआ । यह देखो, पूना से प्रोफेसर माधौल्लकर ने यह पत्र भेजा है। उन्हें न जाने कैसे यह शफा हो गयी है कि मैं इस देश में विदेशी संगीत का प्रचार करना चाहता हैं। इस पर आपने मुझे खूब आड़े हाथों लिया है।

ज्ञानशंकर मतलब की बात छेड़ने के लिए अधीर हो रहे थे, अवसर मिल गया, बोले- आपने यूरोप से लोगों को नाहक बुलाया। इसी से जनता को ऐसी शकाएँ हो रही है। उन लोगो की फीस तय हो गयी है?

राय साहब-हाँ, यह तो पहली बात थी। दो सज्जनों की फीस तो रोजाना दो-दो हजार है। सफर का खर्च अलग। जर्मनी के दोनो महाशय डेढ़डेढ हजार रोजाना लेंगे। केवल इटली के दोनो आदमियों ने नि स्वार्थ भाव से शरीक होना स्वीकार किया है।

ज्ञान–अगर यह चारो महाशय यहाँ १५ दिन भी रहे तो एक लाख रुपये तो उन्हीं को चाहिए?

राय-हाँ, इससे क्या कम होगा।

ज्ञान—तो कुल खर्च चाहे ५-५॥ लाख तक जा पहुँचे।

राय—तखमीना तो ४ लाख' का किया गया था, लेकिन शायद इससे कुछ ज्यादा ही पड़ जाये।

ज्ञान–यहाँ के रईसों ने भी कुछ हिम्मत दिखायी?

राय-यहाँ, कई सज्जनों ने वचन दिये है। सम्भव है दो लाख मिल जायें।

ज्ञान-अगर वह अपने वचन पूरे भी कर दें तो आपको २-३ लाख की जेरवारी होगी।

राय साहब ने व्यगपूर्ण हास्य के साथ कहा, मैं उसे जेरबारी नहीं समझता। धन सुद्ध-भोग के लिए है। उसका और कोई उद्देश्य नहीं है। मैं घन को अपनी इच्छाओं को गुलाम समझता हूँ, उसका गुलाम बनना नहीं चाहता।

ज्ञान-लेकिन वारिसों को भी तो सुख-भोग का कुछ न कुछ अधिकार है?

राय साहब-संसार में सब प्राणी अपने कर्मानुसार सुख-दुख भोगते हैं। मैं किसी के भाग्य को विधाता हूँ?

ज्ञान-क्षमा कीजिएगा, यह शब्द ऎसे पुरुष के मुंह से शोभा नहीं देते जो अपने जीवन का अधिकाश बिता चुका हूँ।

राय साहब ने कठोर स्वर से कहा, तुमको मुझे उपदेश करने का कोई अधिकार नही हैं। मैं अपनी सम्पत्ति का स्वामी हैं, उसे अपनी इच्छा और रुचि के अनुसार खर्च