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प्रेमाश्रम

हरी हो गयी, किसी पेड़ के नीचे पड़े रहेगे, दिन हुनेगा तो साँझ तक घर पहुँचेगे। करम का लिला भोग है! जो कभी न करना था, वह मरते समय करना पड़ा!

प्रेम—आज कल गाँव का क्या हाल है।

वृद्धा-क्या हाल बतायें सरकार, जमींदार की निगाह टेढी हो गयी, मारा गाँव बँध गया, कोई डामिल गया, कोई कैद हो गया। उनके बाल-बच्चे अब दाने-दाने को तरस रहे हैं। मैरे दो बेटे थे। दो हल की बेनी होती थी। एक तो डामिल गया, दूसरे की साल भर से कुछ टोह ही नहीं मिली। बैल थे, वे चारे बिना टूटे गये। खैनी बारी कौन करे? बहुएँ हैं वै बाहर आ-जा नहीं सकती। मैं ही उपले बैच कर ले जाती हैं तो सब के मुंह मे दाना पड़ता है। पोते थे, उन्हें भगवान ने पहले ही है लिया। बुढ़ापे में यहीं भोगना लिखा था।

प्रेम-तुम डपटसिंह की मा तो नहीं हो?

वृद्धा ही सरकार, आप कैसे जानते हैं?

प्रेम-ताऊन के दिनों में जब तुम्हारे पोते बीमार थे तब मैं वहीं था। कई बेर और हो आया हैं। तुमने मुझे पहचाना नहीं? मेरा नाम प्रेमाशंकर है।

वृद्धा ने थोड़ा सा घूँघट निकाल लिया। दीनता की जगह लज्जा का हल्का ना रंग चेहरे पर आ गया। बोली, हाँ बेटा अब मैंने पहचाना। आँखों से अच्छी तरह सूझता नहीं। भैया, तुम जुग जुग जियो। आज सारा गाँव तुम्हारा या गा रहा है। तुमने अपनी वाली कर दी, पर भाग में जो कुछ लिखा था वह कैसे टलता? बेटा! सारे गाँव मे हाहाकार मचा हुआ है। दुखरन भगत को तो जानते ही होने? यह बुढ़िया उन्हीं की घरवाली है। पुराना खाती थी, नया रखती थी। अब घर में कुछ नहीं रहा। यह दोनों लड़के बधूके हैं। एक रंग का लड़का है और ये दोनों कादिर मियाँ के पोते हैं। न जाने क्या हो गया कि घर से मरद के जाते ही जैसे बरक्क्त हो उठ गयी। सुनती थी कि कादिर मियां के पास बड़ा धन है, पर इतने ही दिनों में यह हाल हो गया कि लड़के मजदूरी न करे तो मुँह में मक्खी आये-जाये। भगवान इम कलमुँह फैजू का सत्यानाश करे, इसने और भी अँधेर मचा रखा है। अब तक तो उसने गाँव भर को बेदखल कर दिया होता, पर नारायण नुक्लू चौधरी का भला करे कि उन्होंने सारी बाकी कौड़ी पाई-पाई चुका दी। पर अबकी उन्होंने भी खबर न ली और फिर अकेला आदमी सारे गाँव को कहों तक संभाले? साल दो साल की बात हो तो निबाह दे, यहाँ तो उम्र भर का रोना है। कारिन्दा अभी से घमका रहा है कि अब की बेदखल करके तभी दम लेंगे। अब की साल तो कुछ आधे-साझे में खेती हो गयी थी। खेत निकल जायेंगे तो क्या जाने क्या गति होगी?

यह कहने क्हते बुढिया रोने लगी। प्रेमशंकर की आँखे भी भर गयी पूछा---बिसेसर साह का क्या हाल है?

बुढिया क्या जानू भैया, मैंने तो साल भर से उसके द्वार पर झाँका भी नहीं। अब कोई उधर नहीं जाता। ऐसे आदमी का मुंह देखना पाप है। लोग दूसरे गाँव से