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प्रेमाश्रम


ईजाद—अब क्या कुछ भी पर्दा न रहने दीजिएगा?

इर्फान—अधूरी कहानी नहीं छोड़ी जाती।

ईजाद- तो जनाब, कोई बँधो हुई रकम है नही, और न मैं हिंसाब लिखने का आदी हूँ। जो कुछ मुकद्दर में हैं मिल जाता है। कभी-कभी एक-एक महीने में हजारो की याफत हो जाती है, कभी महीनो रुपये की सूरत देखनी नसीब नहीं होती। मगर कम हो या ज्यादा, इस कमाई में बरकत नहीं है। हमेशा शैतान की फटकार रहती है। कितनी ही अच्छी गिजा खाइए, कितने ही कीमती कपडे पहिनिए, कितने ही शान से रहिए, पर वह दिली इतमीनान नही हासिल होता जो हलाल की रूखी रोटियो और गजी-गाढ़ों में हैं। कभी-कभी तो इतना अफसोस होता है कि जी चाहता है जिन्दगी का खतमा हो जाये तो बेहतर। मेरे लिए सौ रुपये लाखो के बराबर है। इन्शा अल्लाह, इर्शाद भी जल्द ही किसी न किसी काम में लग जायगा तो रोज की फिक्र से निजात हो जायगी। बाकी जिन्दगी तोबा और इबादत मे गुजरेगी। 'इत्तहाद' की खिदमत अब भी करता हूँगा, लेकिन अब से यह सच्ची खिदमत होगी, खुदगर्जी से पाक। इसका सवाब खुदा बाबू प्रेमशंकर को अदा करेगा।

थोड़ी देर अपील के विषय में परामर्श करने के बाद ज्वालासिंह मिर्जासाहब को साथ ले कर हाजीपुर चले। डाक्टर साहब भी साथ हो लिये।



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ज्यों ही दशहरे की छुट्टियों के बाद हाईकोर्ट खुला, अपील दायर हो गयी और रुमाचार पत्रो के कालम उसकी कार्यवाही से भरे जाने लगे। समस्या बड़ी जटिल थीं। दडप्राप्तो में उन साक्षियों को फिर पेश किये जाने की प्रार्थना की थी जिनके आधार पर उन्हें दंड दिये गये थे। सरकारी वकील ने इस प्रार्थना का घोर विरोध किया, किन्तु इर्फानअली ने अपने दावे को ऐसी सबल युक्तियों से पुष्ट किया और दण्ड-भोगियो पर हुई निर्दयता को ऐसे करुणा-भाव से व्यक्त किया कि जजो ने मुकदमे की दुबारा जाँच किये जाने की अनुमति दे दी।

मातहत अदालत ने विवश हो कर शहादत को तलब किया। बिसेसर साह, डाक्टर प्रियनाथ, दारोगा खुद आलम, कतारसिंह, फैज़ और तहसीलदार साहब कचहरी में हाजिर हुए। बिसेसर साह का बयान तीन दिन तक होता रहा। बयान क्या था, पुलिस के हथकडों और कूटनीति का विशद और शिक्षाप्रद निरूपण था। अब वह दुर्बल इनकम टैक्स से डरनेवाला, पुलिस के इशारो पर नाचने वाला बिसेसर साह न था। इन दो वर्षों की ग्लानि, पश्चात्ताप और दैविक व्याधियो ने सम्पूर्णत उसकी काया पलट दी थीं। एक तो उसका बयान यो ही भंडाफोड़ था, दुसरे इर्फानअली की जिरहो ने रहा-सहा पर्दा भी खोल दिया। सरकारी वकील ने पहले तो बिसेसर को, अपने पिछले बयान से फिर जाने पर धमकाया, जज ने भी डाँट बतलाय पर बिसेसर जरा भी न डगमगाथा। इर्फानअली ने बड़ी नम्रता से कहा, गवाह का यों फिर जाना