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प्रेमाश्रम


जब रात समाप्त हो गयी और दोनो साघको ने आँखे खोली तब आकाश पर उषालालिमा दिखायी दी। पृथ्वी शनै शनै तिमिर-पट से निकलने लगी। उस पार के वृक्ष और रेत व्यक्त हो गये जैसे किसी मूति रोगी के मुख पर चैतन्य का विकास हो रहा हो। श्यामल जल वैग से बह रहा था मानो अन्धकार को अपने साथ बहाये लिए जाता हो। उस पार के वृक्ष इस तरह सिर झुकाये खड़े थे मानो शोक समाज किसी की दाह-क्रिया करके शोक से सिर झुकाये चला जाता है।

सहसा तेजशंकर उठ खड़ा हुआ और बोला—जय भैरव की।

दोनो के नेत्रो में एक अलौकिक प्रकाश था, दोनों के मुखो पर एक अद्भुत प्रतिभा झलक रही थी।

तेजशंकर-तलवार हाथ में लो, मैं सिर झुकाये हुए हैं।

पद्म-नहीं, पहले तुम चलाओ मैं सिर झुकाता हूँ।

तेज- क्या अब भी डरते हो? हमने मौत को कुचल दिया, काल को जीत लिया, अब हम अमर है।

पद्म—नही, पहले तुम ही श्रीगणेश करो। ऐसा हाथ चलाना कि एक ही बार में गर्दन अलग आ गिरे। मगर यह तो बताओ दर्द तो न होगा?

तेज-कैसा दर्द? ऐसा जान पड़ेगा जैसे किसी ने फूल से मारा हो। इसी से तो कहता है कि पहले तुम शुरू करो।

पद्म नहीं, पहले मैं सिर झुकाता हूँ।

तेजशंकर ने तलवार हाथ में ली, उसे तौला, दो-तीन बार पैतरे बदले और तब 'जय भैरव की' कह कर पद्मशंकर की गर्दन पर तलवार चलायी। हाथ भरपूर पड़ा; तलवार तेज थी, सिर धड़ से अलग जा गिरा, रक्त का फौवारा छूटने लगा। तेजशंकर खड़ा मुस्कुरा रहा था, मानो कोई फुलझड़ी छूट रही हो। उसके चेहरे पर तेजोमय शान्ति छायी हुई थी। कोई शिकारी भी पक्षी को भूमि पर तड़पते देखकर इतना अविचलित न रहता होगा। कोई अभ्यस्त बधिक भी पशु की गर्दन पर तलवार चला कर इतना स्थिर-चित्त न रह सकता होगा। वह ऐसे सुदृढ विश्वास के भाव से खड़ा था जैसे कोई कबूतरबाज अपने कबूतर को उड़ा कर उसके लौट आने की राह देख रहा हो।

लाश कुछ देर तक तड़पती रही, इसके बाढ़ शिथिल हो गयी। खून के छीटे बन्द हो गये, केवल एक-एक बूंद टपक रही थी जैसे पानी बरसने के बाद ओरी टपकती है, किन्तु पुनरुज्जीवन के संसार का कोई लक्षण न दिखायी दिया। एक मिनट और गुजरा। तेजशंकर को कुछ भ्रम हुआ, पर विश्वास ने उसे शान्त कर दिया। उसने गंगाजल चुल्लू में लेकर भैरव मन्त्र पढ़ा और उस पर एक फूक मार कर उसे लाश पर छिड़क दिया, किन्तु यह क्रिया भी असफल हुई। उस कटे हुए सिर में कोई गति न हुई, उस मृत देह में स्फूति का कोई चिह्न न दिखायी दिया। मन्त्र की जीवन-सचारिणी शक्ति का कुछ असर न हुआ।