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प्रेमाश्रम

फीस न लेंगे, यही अड़चन है। यही सही, पर उनको बुलाना जरूर चाहिए।

यह सोच कर उन्होने तार लिखना शुरू किया कि सहसा डाक्टर प्रियनाथ ने कमरे में कदम रखा। प्रेमशंकर ने चकित हो कर एक बार उनकी और देखा और तब उनके गले से लिपट गये और कुठित स्वर में बोले-आइए भाई साहब, अब मुझे पूरा विश्वास हो गया कि ईश्वर दीनो की विनय सुनता है। आपके पास यह तार भेज रहा था। इनकी जान बचाइए।

प्रियनाथ ने आश्वासन देते हुए कहा-आप घबड़ाइए नहीं, मैं अभी देखता हूँ। क्या करूं, मुझे पहले किसी ने खबर ने दी। इस इलाके में बुखार का जोर है। मैं कई गाँवो का चक्कर लगाता हुआ थाने के सामने से गुजरा तो मुन्शी जी ने मुझे यह हाल बतलाया।

यह कह कर डाक्टर साहब ने हैंडबैग से एक यन्त्र निकाल कर दयाशंकर की छाती में लगाया और खूब ध्यान से निरीक्षण करके बोले–फेफड़ों पर बलगम आ गया है, लेकिन चिन्ता की कोई बात नहीं। मैं दवा देता हूँ। ईश्वर ने चाहा तो शाम तक जरूर असर होगा।

डाक्टर साहब ने दवा पिलायी और वही कुर्सी पर बैठ गये। प्रेमशंकर ने कहा मैं शाम तक आपको न छोड़ूँगा।।

प्रियनाथ ने मुस्करा कर कहा- आप मुझे भगाये भी तो न जाऊँगा। यह मेरे पुराने दोस्त है। इनकी बदौलत मैंने हजारों रुपये उड़ायें हैं।

एक वृद्ध चौकीदार ने कहा- हुजूर, इनका अच्छा कर देव। और तो नहीं, मुदा हम सब जने अपने एक-एक तलब आपके नजर कर देहै।

प्रियनाथ हँस कर बोले--मैं तुम लोगो को इतने सस्ते न छोड़ूँगा। तुम्हे बचन देना पड़ेगा कि अब किसी गरीब को न सतायेंगे, किसी से जबरदस्ती बेगार न ले। और जिसका सौदा लेंगे उसको उचित दाम देंगे।

चौकीदार---भला सरकार, हमारा गुजर-बसर कैसे होगा? हमारे भी तो बाल बच्चे है, दस-पन्द्रह रुपयों में क्या होता है।

प्रिय--तो अपने हाकिमों से तरक्की करने के लिए क्यों नहीं कहते? सब लोग मिल कर जाओ और अर्ज-मारूज करो। तुम लोग प्रजा की रक्षा के लिए नौकर हो, उन्हें सताने के लिए नही। अवकाश के समय कोई दूसरा काम किया करो, जिससे आमदनी बढ़े। रोज दो-तीन घटे कोई काम कर लिया करो तो १०-१२ रुपये की मजदूरी हो सकती है।

चौकीदार--भला ऐसा कौन काम है हजूर?

प्रिय---काम बहुत है, हाँ शर्म छोड़नी पड़ेगी। इस भाव को दिल से निकाल देना पड़ेगा कि हम कानिस्टेबिल है तो अपने हाथों से मिहनत कैसे करें? सच्ची मिहनत की कमाई में अन्याय और जुल्म की कमाई से कहीं ज्यादा बरकत होती है।

मुन्शी जी बोले-हजूर, इस बारे में सरकारी कायदे बड़े सख्त है। पुलिस के