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प्रेमाश्रम

लोगों ने उन्हें यहाँ का बया बना दिया है। कर्तार पुलिस में भरती हो गये।

दस बजते-बजते लोग बिदा हुए। मायाशंकर ऐसे प्रसन्न थे मानो स्वर्ग में बैठे हुए हैं।

स्वार्थ-सेवी, माया के फन्दों में फँसे हुए मनुष्यों को यह शान्ति, यह सुख, यह आनन्द, यह आत्मोल्लास कहाँ नसीब!