पृष्ठ:बंकिम निबंधावली.djvu/१०१

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बंकिम-निबन्धावली—
 

ये सब एक एक अलग राज्य नहीं हैं, भिन्न देशवासी राजाके राज्यका एक अंशमात्र हैं। भारत-सम्राट भारतवर्षमें नहीं रहते। भारतवर्षका बादशाह भारतवर्षमें नहीं, अन्य देशमें है। जिस देशका राजा अन्य देशके सिंहासन- पर अवस्थित और अन्य देशका रहनेवाला हो, वही देश परतन्त्र है।

दो राज्योंका एक राजा होनेसे उनमेंसे एक देश परतन्त्र और एक देश स्वतन्त्र होगा। जिस देशमं राजा रहता है वह देश स्वतन्त्र है और जिस देशमें राजा नहीं रहता वही देश परतन्त्र है।

इस प्रकारकी परिभाषा करने में कुछ आपत्तियाँ उठाई जा सकती हैं। इंग्लैंडके राजा प्रथम जेम्स स्काटलैंड और इंग्लैंड दो राज्यों के अधीश्वर होकर स्काटलैंड छोड़कर इंग्लैंडमें रहने लगे। स्काटलैंड क्या इंग्लैंडको राज्य देकर परतन्त्र हो गया ? बाबरशाह, भारतको जीत कर, दिल्ली में सिंहासन स्थापित कर, वहाँसे पैतृक-राज्यका शासन करने लगे। उनका अपना देश क्या भारतवर्षके अधीन हो गया ? प्रथम जार्ज इंग्लैंडके सिंहासनको पाकर वहीं रहकर पैतृक-राज्य हनोबरका शासन करने लगे। तो क्या हनोबर उस समय परतन्त्र हो गया था ?

परिभाषाके अनुरोधसे हमको कहना पड़ेगा कि प्रथम जेम्स, प्रथम जार्ज या बाबरशाहका पैतृक-राज्य परतन्त्र हो गया था। किन्तु परतन्त्र भर हो गये थे, पराधीन नहीं हुए थे। हम Independence शब्दके बदले 'स्वतन्त्रता' और Liberty शब्दकी जगह 'स्वाधीनता' का और इनके अभावसूचक स्थानों में इनके अभाव-सूचक शब्दोंका प्रयोग करते हैं।

तो परतन्त्रता और पराधीनतामें भेद क्या है ? अथवा स्वतन्त्रता या पराधीनतामें भेद क्या है ?

इंग्लैंडमें राजनैतिक स्वाधीनताका एक विशेष प्रयोग प्रचलित है। हम उस अर्थका आश्रय लेनेके लिए बाध्य नहीं हैं। क्यों कि वह अर्थ इस उप-स्थित विचारके लिए उपयुक्त नहीं है। इसका जो अर्थ भारतवर्षके लोग समझते हैं हम भी वही अर्थ समझावेंगे।

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