पृष्ठ:बंकिम निबंधावली.djvu/१३३

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बंकिम-निबन्धावली—
 

जान्सनने पोपका । हम इस तरहके छोटे छोटे लेखकोंके दृष्टान्त दिखाकर ही अपने कथनको प्रमाणित नहीं करना चाहते । बड़ोंको भी देखिए । बर्जिलका महाकाव्य होमरके प्रसिद्ध महाकाव्यका अनुकरण है । रोमका सारा साहित्य यूनानके साहित्यका अनुकरण है । कहनेका मतलब यह है कि जो रोमका साहित्य वर्तमान यूरोपकी सभ्यताका आधार है, वह अनुकरणमात्र है। इन विदेशके उदाहरणोंको जाने दीजिए। आप अपने ही यहाँके लीजिए। हमारे देशमें दो महाकाव्य हैं—उनको हम महाकाव्य न कहकर गौरवके लिए इति- हास कहते हैं—वे पृथ्वीके सब काव्योंमें श्रेष्ठ हैं । गुणमें दोनों प्रायः समान ही हैं, थोड़ा ही अन्तर है। पर साहित्यकी दृष्टिसे देखिए, तो एक प्रायः दूस- रेका अनुकरण है। व्हीलर साहबको छोड़कर शायद और कोई आपत्ति नहीं करेगा कि महाभारतकी रचना रामायणके बाद हुई है। अन्यान्य अनुकृत और अनुकारी नायकोंमें जितना अन्तर देखा जाता है, राम और युधिष्ठिरमें उससे अधिक अन्तर नहीं है । रामायणके अमित बलशाली वीर जितेन्द्रिय भ्रातृ- वत्सल लक्ष्मण महाभारतमें अर्जुन बन गये हैं और भरत-शत्रुघ्नका प्रतिबिंब नकुल-सहदेव । भीमका ढंग निराला है, तथापि बहुतसी बातोंमें उनपर कुंभकर्णकी छाया पड़ गई है। रामायणमें बिभीषण हैं, महाभारतमें विदुर हैं। अभिमन्यु और इन्द्रजित् एक ही ढंगके हैं। इधर राम अपने भाई और स्त्रीके साथ सुदीर्घसमय तक वनमें रहनेको बाध्य हुए, और उधर युधिष्ठिर भी भाई और स्त्रीके साथ वनको गये। दोनों ही राज्य पाते पाते उससे वञ्चित हुए। एककी स्त्री हरी गई और दूसरेकी स्त्रीका भरी सभामें अपमान हुआ। दोनों ही महाकाव्योंका सारांश जो युद्ध है, उसमें एकमें स्पष्टरूपसे और दूसरेमें अस्पष्टरूपसे—वही अग्नि जलती है । दोनों ही काव्योंका प्लाट यह है कि युवराज राजभ्रष्ट होकर भाई और स्त्रीके साथ वनवासी बने, फिर लड़कर विजयलक्ष्मी पाकर अपना राज्य करने लगे। छोटी छोटी घटनाओंमें भी यही बात पाई जाती है । लव-कुशका काम मणिपुरमें बभ्रुवाहनने कर दिखाया। मिथिलामें धनुभंग हुआ, पञ्जाबमें भी उसी धनुष्यकी क्रियासे मत्स्यवेध हुआ। दशरथ और पाण्डुका पाप और शाप बहुत कुछ मिलता जुलता है। लंकादाह और लाक्षाभवनकी लीलामें भी घटना-सादृश्य है।

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