पृष्ठ:बंकिम निबंधावली.djvu/८६

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भारत-कलंक।
 

बिन कासिमने सिन्धुदेशपर अवश्य अधिकार कर लिया था, किन्तु राजपू- तानेने उनको हराकर बाहर निकाल दिया था। उनके मरनेके कुछ दिनों बाद राजपूतोंने सिन्धुदेशपर फिर अधिकार कर लिया था। दिग्विजयी अरब लोग भारतको जीत नहीं सके। एलफिन्स्टन कहते हैं कि हिन्दुओंका अपने धर्मके प्रति दृढ़ अनुराग ही उनके यों अजेय होनेका कारण था । किन्तु हम कहते हैं, नहीं, युद्ध-निपुणता और लड़नेकी शक्ति ही इसका कारण था। हिन्दुओंका अपने धर्मपर अनुराग अभी तक प्रबल है। फिर वे क्यों लगातार सात सा वर्षों से अन्य जातियोंके अधीन हैं ?

दूसरे यह कि जब किसी प्राचीन देशके निकट किसी नवीन अभ्युदयको प्राप्त और विजयकी अभिलाषा रखनेवाली जाति अवस्थिति करती है तब प्राचीन जाति प्रायः नवीन जातिके प्रभुत्त्वके अधीन हो जाती है। इस प्रकारकी सर्वान्तकारिणी और विजयकी अभिलाषा रखनेवाली जाति प्राचीन यूरोपमें रोमन लोग और एशियामें अरब और तुर्क लोग थे । जो जाति इनके संस्रवमें आई, वही परास्त होकर इनके अधीन हो गई। पहले ही कहा जा चुका है कि कितने थोड़े समयमें अरबी लोगोंने मिसर, उत्तर आफ्रिका, स्पेन, फारिस, टर्की और काबुलके राज्योंको काबूमें कर लिया था। इनकी अपेक्षा भी सुप्रसिद्ध कुछ साम्राज्योंका उदाहरण दिया जा सकता है। रोमन लोगोंने ईस्वी सन्के २०० वर्ष पहले ग्रीसपर आक्रमण किया था। तबसे बावन वर्षके बीचमें ही उन्होंने संपूर्ण ग्रीसके राज्यको बिलकुल अपने वशमें कर लिया। सुप्रसिद्ध कार्थेज राज्य ईस्वी सन्के २६४ वर्ष पहले, अर्थात् १२० वर्षके बीच में ही रोमन लोगोंने उस राज्यको विध्वंस करके अपने अधीन बना लिया। पूर्व-रोमन या ग्रीक-साम्राज्य चौदहवीं शता-ब्दीके प्रथम भागमें तुर्को द्वारा आक्रान्त होकर सन् १४५३ ई. में, अर्थात् ५० वर्षके बीचमें, टर्कीके दूसरे महम्मदके हाथसे लोपको प्राप्त हो गया। पश्चिम रोमन जिसका नाम अभीतक जगतमें वीर-दर्पकी पताका समझा जाता है, वह भी सन् २८६ ई. में उत्तरकी बर्बर जातिके द्वारा पहले आक्रान्त होकर, सन् ४७६ ई. में, अर्थात् प्रथम बर्बर-विप्लवके १९०

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