पृष्ठ:बगुला के पंख.djvu/१५३

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बगुला के पंख १५१ 'समझ गई मैडम ।' मिसेज़ डेविड ने उमा की अोर नज़र उठाकर कहा, 'तुम क्या कहती हो उमा ?' - 'जी, उन फूलों की बाबत मैं कहना चाहती हूं कि कितने सुन्दर हैं। मैं जब-जब उनकी तरफ देखती हूं, ऐसा मालूम होता है वे मुझे हिल-हिलकर इशारे से बुला रहे हैं।' मिसेज़ डेविड इस जवाब से ज़रा नाराज़ होकर कुछ कहना ही चाह रही थीं कि मालती ने आगे बढ़कर कहा, 'मैडम, ऐसी हालत में इन्हें उन फूलों के बीच में जाकर डान्स करना चाहिए। हम लोग तालियां बजाकर इनका अभि- नन्दन करने पर आमादा हैं।' सब लड़कियां खिलखिलाकर हंस पड़ीं। मिसेज़ डेविड 'यू नॉटी गर्ल्स' कहकर वहां से चल दीं । परन्तु शारदा की एक बंगाली सहेली ने उन्हें रोककर कहा, 'मैडम, मैं आपसे कुछ मश्विरा लेना चाहती हूं, अपनी हैल्थ के सम्बन्ध मैं भद्दी होती जा रही हूं, आप देखती हैं न ।' इस बंगालिन लड़की का नाम नीलम था। उसे घूर-घूरकर देखते हुए मैडम ने कहा, 'बहुत खराब बात है । तीसरे पहर रोज़ घूमो, और हफ्ते में एक परगेटिव लो। समझती हो ना, रात को सूप और टोस्ट, बस ।' वास्तव में नीलम कोई मोटी लड़की न थी। उसकी अपेक्षा तो मिसेज़ डेविड एकदम ढोलक बनी हुई थीं। पर मन की हंसी होंठों पर रोककर नीलम ने कहा, 'यस मैडम, पर हम बंगाली लोग सरसों का तेल बहुत खाते हैं, यह क्या नुकसानदेह नहीं है ?' 'ओह, वैरी बैड । सरसों का तेल हाजमा खराब करता है।' 'आप ठीक कहती हैं। लेकिन मैडम, मेरा ख्याल है यह कम्प्लेक्शन के लिए भी शायद खराब चीज़ है।' 'प्रोह, बहुत खराब, लेकिन रात को जल्दी सोना, और सोने के पहले चेहरे पर कोल्ड क्रीम लगाना कभी न भूलो।' 'मैं हमेशा याद रखूगी मैडम । बहुत-बहुत धन्यवाद ।' नीलिमा कठिनाई से आती अपनी हंसी रोकती हुई चली गई । इसी समय मालती ने आगे बढ़कर कहा, 'डायन' अपने साज-सिंगार में ही अपना भद्दापन दिखाना चाहती है। मैडम, 1