पृष्ठ:बाणभट्ट की आत्मकथा.pdf/१२

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कलाभवन के भाई कृपालसिंह जी ने पुस्तक के प्रच्छदपट का चित्र तैयार कर दिया है। यह चित्र उदयगिरि की वराहमूर्ति के एक फोटो के आधार पर बनाया गया है । भाई कृपालसिंह उदीयमान कलाकारों में हैं। भविष्य में वे अतुल कीर्ति अर्जन करें यह मेरी प्रार्थना है ।

ग्वालियर राज्य के पुरातत्त्व-विभाग ने उदयगिरि की वराहमूर्ति का चित्र भी दिया है और उसे पुस्तक में छापने की अनुमति भी दी है। इस कृपा के लिये मैं उक्त संस्था के प्रति हार्दिक कृतज्ञता प्रकट करता हूँ।


हिंदीभवन,

शान्तिनिकेतन

२१,११, ४६

                          (हजारीप्रसाद द्विवेदी)