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बाण भट्ट की आत्म-कथा

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बाण भट्ट की आत्म-कथा

 दीदी बोलीं-कम्बख्त स्त्री निकली । देख ने, पाँच बच्चे दिए है, मैं कहाँ तक सँभालूँ !'
 मैंने बात काट कर कहा-'दीदी, वह आत्मकथा मेरे ही पास पडी हे ।'
 दीदी गुस्से में थीं । रुकीं ही नहीं । गाड़ी में बैठ कर उन्होंने एक कार्ड फेंक कर कहा-मैं देश जा रही हैं । ले, यह मेरा पता है। ले भला !'
 मैंने कार्ड सँभाला और दीदी की गाड़ी चल दी।
 नीचे बाण भट्ट की आत्म-कथा दे रहा हूँ । दीदी ने उसे प्रकाशित करने की आज्ञा दे दी है। लक्ष्य करने की बात यह है कि बाण भट्ट की अन्यान्य पुस्तकों की भाँति यह आत्म-कथा भी अपूर्ण ही है।