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बाण भट्ट की आत्म-कथा

सीखना सीखो । आर्यावर्त नाश के कगार पर खड़ा है । जवानो, अत्यन्त दस्यु आ रहे हैं ! | राजाओं का भरोसा करना प्रमाद है, राजपुत्रों की सेना का मह ताकना कायरता है। आत्म-रक्षा कभार किसी एक जाति पर छोड़ना मूर्खता है । जवानो, प्रत्यन्त दस्यु आ रहे हैं । समस्त अायवर्त एक है-- एक समाज, एक प्राण, एक धर्म । देश-रक्षा सब का समान धर्म है । जवानो, अत्यन्त दस्यु आ रहे हैं । उन देवपुत्रों की अाशा छोड़ो जो सामान्य शोक के आघात से छुई-मुई की भाँति मुरझा जाते हैं । जिस आधार पर खड़े होने जा रहे हो, वह दुर्बल है । सहल जाओ जवानो, प्रत्यन्त दस्यु आ रहे हैं ।। अरे अमृत के पुत्रो, इन राजाओं में लम्पटता बढ़ गई है, इनके अन्तःपुर नियतित बधुअों के क्रन्दन से भरे हुए हैं । राजशक्ति के मूल में घुन लग गया है। जवानो, प्रत्यन्त दस्यु आ रहे हैं । अमृत के पुत्रो, अाँधी की भाँत बहो, तिनके की भाँति म्लेच्छ- वाहिनी को उड़ा ले जायो । संकट के भय से कातर होना तरुणाई का अपमान है । जवानों, प्रत्यन्त दस्यु आ रहे हैं । | वह देरा, कुले बधुएँ अाँखों में असू भर कर तुम्हारी अोर देख रही हैं । उनको सुहाग तुम्हारे हाथों है। जवानो, प्रत्यन्त दस्यु अ रहे हैं। | वह देखो, माताएँ तुम्हारी ओर ताक रही हैं, अरे वह देखो, दुध- म हे बच्चे तुम्हारी और ताक रहे हैं । रुको मत, जवानो, प्रत्यन्त दस्यु आ रहे हैं । | तुम्हें माता के दूध की शपथ है, कुल बंधुओं के सुहाग की शपथ है, दुधमुहे बच्चों के दुलार की शपथ है। उठो, भेद-भाव भूल जाओ, प्रत्यन्त दस्यु आ रहे हैं। कौन है जो आर्यावर्त को हाहाकार के बवण्डर से बचाएगा ?----