सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:बाल-शब्दसागर.pdf/१५२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

करमठ करमठ-वि० १. कर्मनिष्ठ । २. कर्मकांडी । करमाली - संज्ञा पुं० सूर्य । करमी - वि० कर्म करनेवाला । • १४४ कराळी करसी - संज्ञा स्त्री० उपले या कंडे का टुकड़ा । करहंत -संज्ञा पुं० दे० "करहंस" । करहु -संज्ञा पुं० ऊँट । करमुहा - वि० १. काले मुँहवाला । २. कलंकी । कररना, करराना- क्रि० प्र० चरमराकर टूटना । २. कर्कश शब्द करना । करल - संज्ञा पुं० कड़ाही । 9. करवट - संज्ञा स्त्री० हाथ के बल लेटने की मुद्रा । करवत - संज्ञा पुं० श्रारा । करवर-संज्ञा स्त्री० विपत्ति । करवरना - क्रि० प्र० कलरव करना । करवा - संज्ञा पुं० बधना । करवा चौथ - संज्ञा स्त्री० कार्तिक कृष्ण चतुर्थी । करवाना - क्रि० स० दूसरे को करने में प्रवृत्त करना । करवार* - संज्ञा स्त्री० तलवार । करवाल - संज्ञा पुं० १. नख । २. तल- वार । करवाली - संज्ञा स्त्री० छोटी तलवार । करवीर - संज्ञा पुं० १. कनेर का पेड़ । २. तलवार । ३. श्मशान । करवैया - वि० करनेवाला | करश्मा-संज्ञा पुं० चमत्कार । करण - संज्ञा पुं० १. मनमोदाव । २. ताव । करषना- क्रि० स० १. खींचना। २. सुखाना । ३. बुलाना । करसना - क्रि० स० दे० " करपना" | करसान-संज्ञा पुं० दे० " कृषाण" । करसायर, करसायल -संज्ञा पुं० काला हिरन । संज्ञा पुं० फूल की कली । ककुल- संज्ञा पुं० पानी के किनारे की एक बड़ी चिड़िया । कुँज । करा - संज्ञा बी० दे० "कला" । कराइत - संज्ञा पुं० एक प्रकार का काला सपू जो बहुत विषैला होता है । कराई -संज्ञा स्त्री० उर्द, अरहर आदि के ऊपर की भूसी । संज्ञा स्त्री० कालापन | संज्ञा स्त्री० करने या कराने का भाव । करात - संज्ञा पुं० चार जौ की एक तौल जो सोना, चांदी या दवा तौलने के काम में श्राती है। कराना- क्रि० स० करने में लगाना । कराबा - संज्ञा पुं० शीशे का बड़ा बर- तन जिसमें अर्क आदि रखते हैं । करामात - संज्ञा स्त्री० चमत्कार | करामाती - वि० करामात दिखाने- वाला | सिद्ध । करार - संज्ञा पुं० ठहराव । करारना- क्रि० श्र० क क शब्द करना । कर्कश स्वर निकालना । करारा - संज्ञा पुं० १. नदी का वह ऊँचा किनारा जो जल के काटने से बने । २. टीला । वि० १. छूने में कठोर । कड़ा । २. तीक्ष्ण । करारापन - संज्ञा पुं० कड़ापन । कराल - वि० १. जिसके बड़े बड़े दाँत हैं। । २. डरावना | कराली-संज्ञा स्त्री० अभि की सात जिह्वाओं में से एक ।