पृष्ठ:बाहर भीतर.djvu/१००

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तो वह कोई हकीकत ही नहीं समझता।" "लेकिन क्या आप यह जानते है कि वह रहता कहां है ?" "यह तो कोई नही जानता । वह सब जगह है और कही भी नहीं है।" जनरल वुड हस पडे । उन्होने कहा-गोया वह खुदावन्द करीम है। सर वाल्टर भी हस पडे, बोले-ऐसा भी कहा जाए तो अत्युक्ति नहीं। "पर मुझे उससे काम है। मै उससे मिलना चाहता हूं।" "यह तो एक प्रकार से असम्भव है।" "उसे तो आप किसी तरह सम्भव बनाइए।" बहुत सोचने के बाद सर वाल्टर ने कहा-एक रास्ता है। "कहिए।" "उसके दल के एक आदमी को हाल ही में फांसी की सजा हुई है। व एक भारी डाकू था और बड़ी खून-खराबी के बाद पकड़ा गया था। उसके हि भी बहुत मुकदमे थे । यदि अभी तक उसे फासी न हुई हो और आप उससे उगलवा सके तो यह आपके बूते की बात है। हमे तो उसने एक शब्द भी बताया।" "उसे कब फासी होनेवाली थी ?" "यह मुझे याद नहीं है । परन्तु आप जेल से इसका पता पा सकते है।" "धन्यवाद सर वाल्टर, मैने आपका काफी समय लिया।" . जनरल वुड हाथ मिलाकर वहा से चल दिए । जेल को फोन करने पर हुआ कि उसे कल प्रातःकाल फांसी पर लटकाया जानेवाला है। पर जन व्याघात करके उसकी फांसी अनिश्चित काल के लिए मुल्तवी करा दी। फिर फोन पर गवर्नर से बात करके उसका माफीनामा तुरन्त मगवा लिया। माफी जेब मे डालकर वे जेल मे उस डाकू के पास मिलने गए। जेलर को माफी दिखाया और कहा-उसे मैं अपने साथ ले जाऊगा। पर आप उससे कुछ कहिए। मुझे उसके सेल मे भेज दीजिए। सेल मे जाकर देखा-एक तरुण गठीले शरीर का गौरवर्ण पुरुष कम्बल चुपचाप पड़ा है। जेलर से उसका नाम उन्होने जान लिया था। नाम था सप