पृष्ठ:बाहर भीतर.djvu/११५

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लाल पानी ११७ अहमदाबाद की राह पर दौडा जा रहा था । न उसे भूख-प्यास थी, न थकान। उसकी साडनी भी जैसे पर लगाकर उड रही थी। वह दिनभर भागा-भागा चलता चला गया। सन्ध्या होते-होते वह सापर गाव मे जा पहुचा। सापर मियानाओ का गाव था। मियाना लोग वास्तव मे कच्छ के मुसलमान और प्रसिद्ध चोर-डाकू थे । वे प्रकट मे खेती-बाड़ी करते और अवसर-कुअवसर मार-धाड का काम भी करते थे। उनका सगठन ऐसा प्रबल था कि राजा भी उनसे डरते थे। गाव के पटेल का नाम भिया था। गाव के बाहर कच्ची दीवारो पर छप्पर डालकर उसने अपनी मढैया बनाई थी मडैया मे वह अपने परिवार और कुटुम्ब के साथ रहता था। मढ़या के सामने उसके हरे-भरे खेत थे और मैदान मे घास की विशाल सात गजिया लगी थी। छच्छर ने भिया की मढी के सामने आकर साड़नी रोकी : और भिया पटेल से सारी हकीकत कह सुनाई तथा राजकुमारो की शरण मांगी। भिया पटेल का गरीर स्थूल, मूछे सफेद और बडी-बड़ी थी। आयु उसकी साठ को पार कर गई थी। सब बात सुनकर भिया क्षणभर स्तब्ध खड़ा रहा और फिर उसने अपना कर्तव्य निर्णय किया। घास की एक गजी मे उसने जगह करके दोनो राजकुमारो को उसमे छिपा दिया। फिर वह एक घडे मे पानी और कुछ खाने का सामान लेकर छच्छरबूटा को निकट की पहाडी मे ले गया। वहा एक गुप्त गुफा मे छच्छर को छिपाकर, जल और आहार उसके निकट रख यह समझा दिया कि यहा तुझे कुछ भी भय नही है. तू यहा बैठ, समय पर और सूचना मैं तुझे दूगा। किन्तु साड़नी के अठारह अग बेडौल होते है, यह छिपाए छुपने वाली नही, इसलिए उसे उसके भाग्य पर जंगल मे छोड़। इसके लिए जगल मे चारा बहुत है। बात की उपयुक्तता को समझ छच्छरबूटा ने सांड़नी को तो पर्वत की घाटियो मे चरने को हाक दिया और आप गुफा मे छिपकर बैठ गया। छच्छर का सारा प्रबन्ध कर भिया अपनी मढैया मे आया। सब भाई-बन्दों को बुलाकर विचार-परामर्श कर, मन मे निश्चय ठान आनेवाली विपत्ति का सामना करने मुस्तैदी से आ बैठा। रात-भर पग-चिह्न लेता हुआ चामुण्डराय भोर होते-होते मियानाओ के सापर गांव में आ पहुंचा। खोजी ने कहा, "बस, यही सांड्नी रुकी है।" चामुण्डराय ने भिया के झोपड़े के सामने आकर चारपाई पर सोते भिया मियाना को देख लल-