पृष्ठ:बाहर भीतर.djvu/११६

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११८ लाल पानी कारकर कहा, "अरे, उठ खडा हो। तेरी झोंपड़ी मे हमारे दो चोर है, उन्हें अभी हमारे हवाले कर, नहीं तो जान रख कि तेरे प्राण की खैर नहीं।" भिंया ने उठकर हाथ जोड़कर कहा, "अन्नदाता, कैसा चोर ! भला मै राजा के चोर को अपने घर मे छिपाकर मुफ्त में विपत्ति मोल लूगा । ऐसा नादान मैं नही हू । गरीबपरवर, मैं आपके चोर के सम्बन्ध में कुछ नही जानता।" अभी भिंया मियाना से चामुण्डराय की ये बातें हो ही रही थी कि खोजी साड़नी के पग-चिह्न लेता पर्वत की घाटी मे जा पहुचा और एक स्थान पर चरती साड़नी को पकड लाया। चामुण्डराय ने दरबारी वाहन तरीके की साड़नी को पह- चानकर कहा, "इसी साड़नी पर हमारा चोर आया है। जब सांडनी यहा है तब चोर भी यही है।" उसने सब सिपाहियों को पर्वत पर राई-रत्ती खोज करने की आज्ञा दी। पर राजकुमारों का पता नही लगा। वे थक-थकाकर फिर भिया मियाना की मढी मे आ धमके । सब बातें सुनकर चामुण्डराय ने भिंया से कहा, "पटेल, तेरे घर तक साड़नी आई है। यहां से उसे डूगर की तलहटी मे चरने तूने हांक दिया है। राजकुमार पर्वत पर नही हैं तो अवश्य तेरे घर में या गाव मे है। तू उन्हें जानता है । बहानेबाजी छोड और राजकुमारों को हमारे हवाले कर, नही तो तेरा सारा परिवार बुरी तरह मारा जाएगा। चोर को हमारे सुपुर्द करने से राजा तुझे इनाम में दस गाव देगा।" भिंया ने कहा, "गरीबनिवाज, आप इस सारे गाव में आग लगाकर यहां के सब निवासियो को मरवा डालें, तो भी हमारा क्या बस है । पर मै अपराधी नही। साड़नी हमारे गांव में आई भी नही और मैंने राजकुमारों को देखा भी नहीं। आपको मेरा विश्वास नहीं है तो आप भले ही मेरे परिवार का वध कर डालिए। आप हमारे मालिक है।" परन्तु चामुण्डराय इन बातों मे भूलने वाला न था। उसका पक्का विश्वास हो गया था कि राजकुमार यही हैं । उसने कहा, "ठीक है, पर राजकुमार यही हैं। तेरे घर मे नही है तो गांव मे कही तूने छुपाए है। इसलिए सारे गांव को आग लगाकर खाक करना होगा। इतना कहकर उसने सिपाहियो को आज्ञा दी कि गाव को चारो ओर से घेरकर उसमें आग लगा दो। बूढ़ा-बच्चा जो भी भाग जाने की चेष्टा करे उसे वही काट डालो, जिससे यह बूढ़ा पटेल देख ले कि राज-विद्रोह की सजा क्या है ।" देखते ही देखते गाव आग से झुलस उठा । आग की प्रचण्ड लपटों ने