पृष्ठ:बाहर भीतर.djvu/६६

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प्रबुद्ध बालक को अग्रसर कर बुद्ध लौट गए। गोपा अपने उस एकमात्र हृदयधन को भी गंवाकर ठगी-सी खड़ी रह गई। एशिया के महासाम्राज्य उस बुद्ध के सत्य-कर्म के सम्मुख झुके और वह महान धर्मात्मा पृथ्वी पर सदा के लिए अमर हो गया।