पृष्ठ:बिखरे मोती.pdf/१०५

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[ कदम्ब के फूल
 


किसी और को बहकाना; मैं तेरे हाल सब जानती हूँ। तू समझती होगी कि तू जो कुछ करती है, वह कोई नहीं जानता । मैं तो तेरी नस-नस पहिचानती हूँ । दुनियां में बहुत सी औरते देखी हैं, पर सब तेरे तलें-तले ।"

-(मुस्कराते हुए) “सब मेरे तले-तले न रहेंगी तो करेंगी क्या ? मेरी बराबरी कर लेना मामूली बात नहीं हैं। मैं ऐसी-वैसी थीड़े हूँ ।"

-"चल चल; बहुत बड़प्पन न बघार; नहीं तो सब बड़प्पन निकाल दूँगी।

भामा अब कुछ चिढ़ गई थी, बोली- "बड़प्पन कैसे निकालोगी मां जी, क्या मारोगी ?" माजी को ओर भी क्रोध आ गया और बोली- "मारूंगी भी तो मुझे कौन रोक लेगा ? मैं गंगा को मार सकती हूँ, तो क्या तुझे मारने में कोई मेरा हाथ पकड़ लेगा ?”

-"मारो, देखूँ कैसे मारती हो ? मुझे वह बहु न समझ लेना जो सास की मार चुपचाप सह लेती हैं ।”

-"तो क्या तू भी मुझे मारेगी ? बाप रे बाप ! इसने तो घड़ी भर में मेरा पानी उतार दिया । मुझे मारने कहती है । आने दे गंगा को मैं कहती हूँ कि भाई तेरी स्त्री की मार सह कर अब मैं घर में न

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