पृष्ठ:बिखरे मोती.pdf/११३

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[ क़िस्मत
 

बोलीं-“तु सच्ची और में झूठी ? दस बार राँड से कह दिया कि जवान ने लड़ाया कर; पर मुँह चलाए ही चली जाती है । तू भूली किस घमंड में है ? तेरे सरीखी पचास को तो में उँगलियों पर नचा दूँ। चल हट निकल चौके से।”

आँख पोंछती हुई किशोरी चौके से बाहर हो गई। ज़रा सी मुन्नी अपनी माँ का यह कठोर व्यवहार विस्मये 'भरी आँखों से देखती रह गई। किशोरी के जाते ही वह भी चुपचाप उनके पीछे चली । किन्तु तुरंत ही माता की डाँट से वह लोट पड़ी।

इस घर में प्रायः प्रति दिन ही इस प्रकार होता रहता था ।

[ २ ]

बच्चे खाना खाकर, समय से आधा घंटे पहले ही स्कूल पहुँच गए । खाना बनाकर जब मुन्नी को माँ हाथ धो रही थी तब उनके पति रामकिशोर मुवक्किलो से किसी प्रकार छुट्टी पाकर घर आए । सुनसान घर देखकर बोले – बच्चे कहाँ गये सब ?

नथुने फुलाती हुई मुन्नी की माँ ने कहा-“स्कूल गए; और कहाँ जाते ? कितना समय हो गया; कुछ ख़बर,भी है?"

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