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बिखरे मोती ]
 

रामकिशोर फिर बोले-तुमने नहीं खाया न ? मुझे दुःख है कि तुमने भी अपने बूढ़े संसुर की एक ज़रा सी बात न मानी।

किशोरी को बड़ी ग्लानि हो रही थी कि वह क्या उत्तर दे; कुछ देर में बोली-“बाबू मैंने आपको आज्ञा का पालन किया है; जो कुछ चौके में था खा लिया है; झूठ नहीं कहती

रामकिशोर को विश्वास न हुआ कहारिन को बुलाकर पूछा तो कहारिन ने कहा-“मेरे सामने तो बहू ने कुछ नहीं खाया। माँ जी ने चौका पहिले ही से खाली कर दिया था, खाती भी तो क्या ?

पत्नी की नीचता पर कुपित और बहू के सौजन्य पर रामकिशोर जी पानी-पानी हो गये।आज उनके जेब में ५०) थे; उसमें से दस निकाल कर वे बहू को देते हुए बोले । यह रुपये रखो बेटी, तुम्हें यदि जरूरत पड़े तो खर्च करना । इसी समय आँधी की तरह मुन्नी की माँ ने कोठरी में प्रवेश किया । बीच से ही रुपयों को झपट कर छीन लिया; वह किशोरी के हाथ तक पहुँच भी न पाये थे; गुस्से से तड़प कर बोली-~-बाप रे बाप.! अँधेर हो गया; कलजुग जो न

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