पृष्ठ:बिखरे मोती.pdf/१२५

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[ मछुए की बेटी
 

-“फिर मैं तुम्हें रानी बना कर अपने आपको दुनिया का बादशाह समझूं ।"

―"अपने आपको बादशाह समझोगे, क्यों मनोहर ? और मैं बनूंँगी रानी । पर मैं रानी बनने के बाद डांड़ तो न चलाऊँगी, अभी से कहे देती हूँ ।

―“तब मैं ही क्यों डांड़ चलाने लगा। मैं बनूंगा राजा। और तुम बनोगी मेरी रानी, फिर डांड़ चलाएंगे हमारे- तुम्हारे नौकर ।”

“अच्छा, यह बात है !" कह कर तिन्नी खिलखिला कर हँस पड़ी और दोनों हँसते हुए घाट की तरफ चले गये।

[ ३ ]

एक बड़ी नाव पर राजा साहब और उनके पुत्र कृष्णदेव अपने कई मुसाहिबो के साथ उस पार जाने के लिए बैठे। तिन्नी कई मछुओ और मनोहर के साथ डांड चलाने लगी । तिन्नी नाव भी खेती जाती थी और साथ ही मनोहर से हंँस-हँस कर बातें भी करती जाती थी । वायु के झोको के साथ उड़ते हुए उसके काले घुंघराले बाल उसकी सुन्दर मुखाकृति को और भी मोहक बना रहे थे । कृष्णदेव उसके मुंँह की ओर किन स्थिरता के साथ देख रहे हैं ;

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