पृष्ठ:बिखरे मोती.pdf/१२९

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[ मछुए की बेटी
 

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दूसरे ही दिन रियासत से तिन्नी समेत चौधरो का बुलौआ हुआ । उन्हें शीघ्र से शीघ्र उपस्थित होने की आज्ञा थी और साथ ही उन्हें लेने के लिए सवारी भी आई थी। इस घटना ने मुहल्ले भर में हलचल मचा दी। चौधरी बहुत घबराए । सोचा "अवश्य ही मेरी अनुपस्थिति में इस उद्ंदड लड़की ने कोई अनुचित व्यवहार कर दिया होगा । राजा साहब जरूर नाराज हैं; नहीं तो तिन्नी समेत बुलाए जाने का और कारण ही क्या हो सकता है। मुहल्ले वाले सभी चौधरी को समयोचित सीख देने आए। अपनी अपनी समझ के अनुसार किसी ने कुछ कहा, किसी ने कुछ । किन्तु तिन्नी का हृदय कुछ और ही चल रहा था । तिन्नी पिता के पास मोटर पर बैठने ही वाली थी; मनोहर ने आकर धीरे से तिन्नी से कहा-

मनोहर-तिन्नी !कहीं राजकुमार ने तुम्हें अपनी रानी बनाने को बुलाया हो तो?

तिन्नी-कुछ तुम मुझे अपनी रानी बनाते थे, कुछ राजकुमार बनाएंगे ?

मनोहर-तिन्नी । तुम तो सदा ही मेरे हृदय की रानी

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