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बिखरे मोती ]
 

रही हो और रहोगी । आज ऐसी बात क्यों करती हो ?

“सो कैसे ? बिना विवाह हुए ही मैं तुम्हारी या तुम्हारे हृदय की रानी कैसे बन सकती हूँ ?"तिश्नी ने रुखाई से पूंछा ।


मनोहर-तिन्नी ! रानी बनने के लिए विवाह ही थोड़े जरूरी है; जिसे हम प्यार करें वही हमारी रानी ।

तिन्नी का चहरा तमतमा गया; बोली धत् ! मैं ऐसी रानी नहीं बनना चाहती; ऐसी रानी से तो मछुए की बेटी ही भली । और मनोहर के उत्तर की प्रतीक्षा न करके पिता के पास जाकर मोटर पर बैठ गई । मोटर स्टार्ट हो गई।

जब यह लोग रियासत में राजा साहब के महल के, सामने पहुँचे तब कुछ अंधेरा हो चला था । इनके पहुँचने की सूचना राजा साहब को दी गई। चौधरी पुत्री समेत महल के एक सूने कमरे में बुलाए गए। कमरे में राजा साहव और कृष्णदेव को छोड़ कर कोई न था । डर के मारे चौधरी की तो हुलिया बिगड़ रही थी। किन्तु तिन्नी मन ही मन मुस्कुरा रही थी। पिता-पुत्री का उचित

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