पृष्ठ:बिखरे मोती.pdf/१३५

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[ एकादशी
 



करने के लिए वे रोगी के पास घंटो बैठ कर न जाने कहाँ कहाँ की बातें किया करते है।

उन्हें बच्चों से भी विशेष प्रेम था । यही कारण था कि वे जिघर से निकल जाते बच्चे उनसे हाथ मिलाने के लिए दौड़ पड़ते । और सबसे अधिक बच्चों को अपने पास खींच लेने का आकर्षण, उनके पास था, उनके जेब की मीठी गोलियाँ, जिन्हें वे केवल बच्चों के ही लिए रखा करते थे। वे होमियोपैथिक चिकित्सक थे । बच्चे उनसे मिलकर बिना दवा खाए मानते ही न थे, इसलिए उन्हें सदा अपने जेब में बिना दवा की गोलियाँ रखनी पड़ती थीं।

एक दिन इसी प्रकार बच्चों ने उन्हें आ घेरा । आज उनके ताँगे पर कुछ फल और मिठाई थी, जिस उनके एक मरीज़ ने उनके बच्चों के लिए रख दिया था । डाक्टर साहब ने आज दुवा को भीठी गोलियों के स्थान में मिठाई देना प्रारम्भ किया। उन बच्चों में एक दस वर्ष की बालिको भी थी जिसे डाक्टर साय मैं पहिली री बार अपने इन छोटे-छोट मित्रों में देखा था। बालिका की मुखाकृवि और विशेष कर आँखों में एक ऐसी भोली और चुभती हुई मोहकती थी कि उसे स्मरण रखने के

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