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बिखरे मोती ]
 


लिए उसके मुँह की ओर दूसरी बार देखने की आवश्यकता न थी । दूसरे बच्चों की तरह डाक्टर साहब ने उसे भी मिठाई देने के लिए हाथ बढ़ाया । किन्तु बालिका ने कुछ लज्जा और संकोच के साथ सिमट कर सिर हिलाते हुए मिठाई लेने से इन्कार कर दिया । बालक और मिठाई न ले, यह बात जरा विचित्र सी थी । डाक्टर ने एक की, जगह दो लड्डू देते हुए उससे फिर बड़े प्रेम के साथ लेने के लिए अग्रह किया। बालिका ने फिर सिर हिलाकर अस्वीकृति की सूचना दी । तब डाक्टर साहब ने पूछा-

 -

-"क्यों बिटिया ! मिठाई क्यों नहीं लेती ?”

-"आज एकादशी है । आज भी कोई मिठाई खाता है।”

डाक्टर साहब हँस पड़े और बोले-"यह इतने बच्चे खा रहे है सो ?"

-“आदमी खा सकते हैं औरतें नहीं खातीं । हमारी दादी कहती हैं कि हमें एकादशी के दिन अन्न नहीं खाना चाहिए ।"

-"तो तुम एकादशी करती हो ?”

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