यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
११
आहुति
[ १ ]
ज़नाने अस्पताल के पर्दा-वार्ड में दो स्त्रियों को एक
ही दिन बच्चे हुए। कमरा नं०५ में बाबू राधेश्याम जी
की स्त्री मनोरमा को दूसरी चार पुत्र हुआ था। उन्हें
प्रसृत-ज्वर हो गया था। उनकी अवस्था चिन्ताजनक
थी। वे मृत्यु की घड़ियाँ गिन रही थीं। कमरा नं०६
में कुन्तला की मां के सातवाँ वचा, लड़की हुई थी।
मां-बेटी दोनों स्वस्थ और प्रसन्न थीं । घर में कोई बड़ा
आदमी न होने के कारण मां की देख-भाल कुन्तला
ही करती थी। उसके पिता एक दफ्तर में नौकरी करते
१२८