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आहुति

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ज़नाने अस्पताल के पर्दा-वार्ड में दो स्त्रियों को एक ही दिन बच्चे हुए। कमरा नं०५ में बाबू राधेश्याम जी की स्त्री मनोरमा को दूसरी चार पुत्र हुआ था। उन्हें प्रसृत-ज्वर हो गया था। उनकी अवस्था चिन्ताजनक थी। वे मृत्यु की घड़ियाँ गिन रही थीं। कमरा नं०६ में कुन्तला की मां के सातवाँ वचा, लड़की हुई थी। मां-बेटी दोनों स्वस्थ और प्रसन्न थीं । घर में कोई बड़ा आदमी न होने के कारण मां की देख-भाल कुन्तला ही करती थी। उसके पिता एक दफ्तर में नौकरी करते

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