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[ आहुति
 


-"मौसी के घर जनेऊ है; वहीं अम्मा के पास जा रही थी”, कुन्तला ने शरमाते हुए कहां।

कुन्तला को देखते ही राधेश्याम जी की एक सोई हुई स्मृति जारा सी उठीं। दूसरी तांगा चुलवा कर कुन्तला को इसमें बैठा कर उसे रवाना करके राधेश्याम जगमोहन के साथ अपनी वैठक में आ गये ।

[ ३ ]

एक दिन बात है। बात में राधेश्याम ने जगमोहन से पूछा “भाई ! वह किसक्री लड़की थी जो उस दिन तांगे पर से गिर पड़ी थी ?"

जगमोहन ने बताया कि वह पंडित नंदकिशोर तिवारी की कन्या है ! पढ़ी-लिखी, गृह-कार्य में कुशल और सुन्दर होने पर भी धनाभाव के कारण वह अभी तक कुमारी है । बेचारे तिवारी जी ५०) माहवार पर एक आफिस में नौकर हैं। बड़ा परिवार हैं, ५०)में तो खाने-पहिनने को भी मुश्किल में पूरा पड़ता होगा । फिर लड़की के विवाह के लिए दो-तीन हजार रुपये, कहाँ से लावा ? 'कान्यकुञ्जों में तो बिना

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