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बिखरे मोती ]
 


आवश्यकता का अनुभव वह बहुत दिनों से कर रही थी। जो उसे घरेलू जीवन के अतिरिक्त और भी बहुत-सी उपयोगी बातें बता सकता था; जो उसे अच्छे से अच्छे लेखक और कवियों की कृतियों का रसास्वादन करा के साहित्यिक-जगत की सैर करा सकता था। कुन्तली अखिलेश्वर का साथ पाकर चहुत सन्तुष्ट थी। अब उसे अपना जीवन उतना कष्टमय और नीरसे न मालूम होता था । कुन्तला और अखिलेश्वर प्रतिदिन एक बार अवश्य मिला करते । कुन्तला की अभिरुचि साहित्य की ओर देखकर, उसकी विलक्षण कुशाग्र बुद्धि एवं लेखन-शैली की असाधारण प्रतिभा पर अखिलेश्वर मुग्ध ' थे । वे उसे एक सुयोग्य रमणी बनाने में तथा उसकी प्रतिभा को पूर्ण रूप से विकसित करने में सदा प्रयत्नशील रहते थे। लाइब्रेरी में जाते; अच्छी से अच्छी पुस्तके लाते; और उसे घंटों पढ़कर सुनाया करते । कविवर शेली, टेनीसन और कीटस् तथा महाकवि शेक्सपीयर इत्यादि की ऊंचे दरजे की कविताएँ पढ़कर उसे समझाते, उसके सामने व्याख्या तथा आलोचना करते और उससे करवाते । हिन्दी के धुरंधर कवियों की रचनाएँ सुना कर वे कुन्तला ' की

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