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थाती

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क्यों रोती हूँ। इसे नाहक पूँछ कर जले पर नमक न छिड़को! जरा ठहरो! जी भर कर रो भी तो लेने दो; न जाने कितने दिनों के बाद आज मुझे खुलकर रोने का अवसर मिला है। मुझे रोने में सुख, मिलता है; शान्ति मिलती है। इसीलिए मैं रोती हूँ। रहने दो; इसमें बाधा न ढालो; रोने दो।

क्या कहा? 'किसके लिए रोती हूँ'? आह!! उसे सुनकर क्या करोगे? उससे मुझे कुछ लाभ न होगा; पूछो ही न तो अच्छा है। मेरी यह पीड़ा ही तो मेरी सम्पत्ति

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