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[ अमराई
 

सभापति और मंत्री पकड़ कर जेल में बन्द कर दिए गए थे।


उस दिन राखी थी। बहिनें अपने भाइयों को सदा इस अमराई में ही राखी बांधा करती थीं । वहाँ सब लोग एकत्रित होकर त्योहार मनाया करते थे। वहिनेंं भाइयों को पहिले कुछ खिलाती, माला पहिनातीं, हाथ में नारियल देतीं और तिलक लगा कर हाथ में राखी बांधते हुए कहती, “भाई इस राखी की लाज रखना; लड़ाई के. मैदान में कभी पीट न दिखाना।

एक तरफ़ ती राखी का चित्ताकर्षकं दृश्य था । दूसरी और छोटे-छोटे बच्चे और बच्चियाँ झूले पर झूल रहे थे। उनके सुकुमार हृदयों में भी देश-प्रेम के नन्हें-नन्हें पौधे प्रस्फुटित हो रहे थे। बहादुरी के साथ देश के हित के लिए फांसी पर लटके जाने में वे भी शाचद गौरव समझने थे । पद्दिले तो लड़कियाँ- कजली गा रही थी। एकाएक एक छोटा चालक गा उठा-

झडा ऊंचा रहे हमारा

फिर क्या था; सव बचे 'कजली-वजली तो गए भूल, और लगे चिल्लाने

झंडा ऊंचा रहे हमारा

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