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अनुरोध
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"कल रात को मैं जा रहा हूँ ।”
"जी नहीं, अभी आप न जा सकेंगे” अाग्रह, अनुरोध और थादेश के स्वर में वीणा ने कहा।
निरंजन के ओठों पर हल्की मुस्कुरहिट खेल गई। फिर बिना कुछ कहे ही उन्होंने अपने जेब से एक पत्र निकाल कर वीणा के सामने फेंक दिया और शान्त स्वर में बोले-
मुझे तो कोई आपत्ति नहीं; आप इस पत्र को पद
लीजिए। इसके बाद भी यदि आपकी यही धारणा रही
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