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बिखरे मोती]
 



"मां ! विवाह कैसा होता है और क्यों होता है" ?

मां के सामने यह बड़ा जटिल प्रश्न था; वह समझ ही न की कि इसका क्या उत्तर दे; किन्तु चतुर जानकी ने तुरंत बात बना ली; बोली-“सोना ! विवाह हो जाने पर अच्छे-अच्छे गहने-कपड़े मिलते हैं। इसीलिए विवाह होता है।

सोना-बुआ जी फिर क्या होता है ?

जानको–फिर सास के घर जाना पड़ता है; सो मैं तुझे अपने साथ ले चलेंगी।

-“सो तो मैं पहले ही से जानती थी बुआ जी, कि विवाह करने पर सास के घर जाना पड़ता है। पर मैं न कहीं जाऊँगी; अभी से कहे देती हैं; विवाह करो चाहे न करो, कहती हुई सोना खेलने चली गई। नन्दो का मातृप्रेम आँखों में आँसू बन कर उमड़ आया; बोलो-"अभी बचपना है; बड़ी होगी तब सब समझेगी ।”

जानकी-“फिर तो ससुराल से एक-दो दिन के लिए भी मायके आना कठिन हो जायगा भौजी ! देखो न मैं ही चार-छै दिन के लिए आती हूँ तो रात-दिन वहीं

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