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[ग्रामीण


दाल विश्वमोहन को न सुहाई, उनकी आंत्रों में खून उतर आवा; पर वे चुपचाप अपने क्रोध को पी गए । किन्तु उसी समय उन्होंने मन ही मन प्रतिज्ञा की कि अर्व ३ सोना को मायके कभी न भेजें। वे जाकर चापाल में मोढ़ पर बैठे ही थे कि अपने बालसन्ना और सहेलियों के साथ नोना भी पहुँची । विश्वमोइन को देखते ही उसने हाथ की विहीं फेंक दी और सिर ढंक कर अन्दर_भाग गई। फिर ससुराल जाना पड़ेगा, इस भावना. मात्र से ही उसका हृद्ये व्याकुल हो उठा।

सोना फिर ससुराल आई । अबकी बार अाने के साथ ही घर का सार भरि सेना को सौंप कर सोना की सास ने घर-गृहस्थी से छुट्टी ले ली। कभी घर का काम करने का अभ्यास न होने के कारण सोना * घर के काम करने में बड़ी दिक्कत होती, इके लिए उसे रोज़ वास की | मिडकियां सनी पड़ती है सोना ने तो खेलना, नाना, और तितली की तरह उड़ना ही सीखा था | गृहस्थी की शादी में उसे भी कभी जुतना पड़ेगा वह तो उसने कभी सोचा ही न था। किन्तु यह कठिनता नहीने पन्द्रह दिन की ही थी । अभ्यास हो जाने पर फिर सोना को काम करने में कुछ कठिनाई न पड़ती।

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