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बिखरे मोती ]


प्रकार वे, एक हवा के झोंके की तरह, मेरे जीवन में आई और चली भी गई; मैं उनके विषय में कुछ भी न जान सका।

[ ५ ]

दस वर्ष बाद-

एक दिन फिर मैं कहीं सफर में जा रहा था। बीच में एक बड़े जंक्शन पर गाड़ी बदलती थी। वहाँ पर दो लाइनों के लिये ट्रेन बदलती थी। मैं अपने कम्पार्टमेन्ट से उतरा, ठीक मेरे पास के ही, पर थर्ड-क्लास के एक डिब्बे से एक स्त्री उतरी। उसका चेहरा सुन्दर, पर मुरझाया हुआ था; आँखें बड़ी-बड़ी, किन्तु दृष्टि बड़ी ही कातर थी। कपड़े साधारण और कुछ मैले-से थे। गोद में एक साल-भर का बच्चा था, आस-पास और भी दो-तीन बच्चे थे। मैंने ध्यान से देखा यह वे ही थीं। मैं झपटकर उनके पास गया। अचानक मुँह से निकल गया "आप! यहाँ इस वेश में!!"

उन्होंने मेरी तरफ देखा, उनके मुँह से एक हल्की-सी चीख निकल गई, बोलीं—"क्या! आप हैं?"