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[ पापी पेट


नहीं है; तुमने तो अपना कर्तव्य पालन किया है। स्वयं भगवान कृष्ण ने कर्तव्य पालन के लिए निकट सम्बंधियों तक को मारने का उपदेश अर्जुन को दिया था; फिर तुम्हारा कर्तव्य क्या है? अपने अफ़सर की आज्ञा का पालन.करना । आतंक जमाने के लिए लाठी चार्ज कराने का तुम्हें हुक्म था। तुम सरकार का नमक खाते हो, उसकी आज्ञा की उलंघन नहीं कर सकते । आज्ञा मिलने पर उचित अनुचित का विचार करने की ज़रूरत ही नहीं । स्वयं धर्म-नीति के ज्ञाता पितामह भीष्म ने दुर्योधन का नमक खाने के ही कारण, अर्जुन का पक्ष सत्य होते हुए भी,दुर्योधन की ही साथ दिया था। इसी प्रकार तुम्हें भी अपना कर्तव्य करना चाहिये; नतीजा बुरा हो चाहे भला।'


पर फिर उनके हृदय में काटा,'न जाने कितने निरपराधों के सिर फूट होंगे? दिमाग ने कहा ‘फुटने दो; जब तक सरकार की नौकरी करते हो तब तक तुम्हें उसकी आज्ञा का पालन करना ही पड़ेगा, और यदि आज्ञा का पालन नहीं कर सकते तो ईमानदारी इसी में है कि नौकरी छोड़ दो। माना कि आखिर ये लोग स्वराज्य के ही लिए झगड़ रहे हैं। उनका काम परमार्थ का हैं,सभी के भले के लिए है; पर किया क्या जाय ? नौकरी छोड़ दी जाय तो इन

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