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बिखरे मोती ]


पापी पेट के लिए भी तो कुछ चाहिए ? हमारे मन में क्या देश-प्रेम नहीं है ? पर खाली-पेट देश-प्रेम नहीं हो सकता है। आज नौकरी छोड़ दें, तो क्या स्वराज वाले मुझे ६००) दे देंगे ? हमारे पीछे भी तो गृहस्थी लेगी है; बाल-बच्चों का पेट तो पालना ही होगा। इसी प्रकार सोचते हुए वे अपने बँगले पहुँचे ।

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घर पहुँचने पर मालूम हुआ कि पत्नी अस्पताल गई हैं। लाठी-काण्ड में लड़के का सिर फट गया है। उनका कलेजा बड़े वेग से धड़क उठा। उनका एक ही लड़का था । तुरन्त ही मोटर चढ़ाई, अस्पताल जा पहुँचे; देखा कि उनकी स्त्री गोपू को गोद में लिये बैठी आँसू बहा रही है। गोपू के सिर में पट्टी बँधी है और उसकी आँखें बन्द हैं। उन्हें देखते ही पत्नी ने पीड़ा और तिरस्कार के स्वर में कहा, “यह है तुम्हारे लाठी चार्ज की नतीजा ।” उसका गली रूंध गया और आँसू और भी वेग से बह चले । राय साहब कुन्दन लाल के मुँह से एक शब्द भी न निकला । इतने ही में डाक्टर ने आकर उन्हें सांत्वना देते हुए कहा, । "कोई खतरे की बात नहीं है । घाव गहरा जरूर है, पर

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