पृष्ठ:बिखरे मोती.pdf/७५

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लिए उन्हें इनाम दिया जाता । उड़ाया हुआ माल जिस क़ीमत का होता, इनाम भी उसी के अनुसार दिया जाता था ।

ठाकुर साहब के सब रिश्तेदार उनकी इन हरक़तों से उनसे नाराज़ रहते थे। प्रायः उनके घर की आना- जाना छोड़-सा दिया था। किन्तु ठाकुर साहब अपनी वासना और धन के मद से इतने दीवाने हो रहे थे कि उनके घर कोई आवे चाहे न आवे उन्हें जरा भी परवाह न थी ।

[ ३ ]

हेतसिंह ठाकुर साहब का चचेरा भाई था। छुटपन से ही वह ठाकुर साहब का आश्रित था। ठाकुर साहब हेतसिंह पर स्नेह भी सगे भाई की ही तरह रखते थे । वह बी. ए.फाइनल का विद्यार्थी था । बड़ा ही नेक और सच्चरित्र युवक थी । ठाकुर साहब के इन कृत्यों से हेतसिंह को हार्दिक घृणा थी। प्रजा पर ठाकुर साहब का अत्याचार उससे सहा न जाता था। एक दिन इसी प्रकार किसी बात से नाराज होकर उसने घर छोड़ दिया। कहाँ गया, कुछ पता नहीं । ठाकुर साहब

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