पृष्ठ:बिखरे मोती.pdf/७७

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दिनों में आए । बिना कुछ कहे-सुने ही तुम कहाँ चले गये थे' ?

हेतसिंह ने ठाकुर साहब की किसी बात की उत्तर नहीं दिया । वह तो अपनी ही धुन में था, बोला-भैय्या, क्या मनका कुम्हार की बहू घर में है ? यदि हो तो आप उसे वापिस पहुँचवा दीजिए।

ठाकुर साहब की त्योरियाँ चढ़ गईं क्रोध को दबाते हुए वे बोले-

हेतसिंह तुम कल के छोकरे हो। तुम्हें इन बातों में न पड़ना चाहिये। जाओ, भीतर जाओ, हाथ-मुंह धोकर कुछ खाओ-पियो!

हेतसिंह ने तीव्र स्वर में कहा-पर मैं क्या कहता हूँ !!

मनका कुम्हार को बहू को आप वापिस पहुँचवा दीजिए ।

-"मैंने एक बार तुम्हें समझा दिया कि तुम्हें मेरे निजी मामलों में दखल देने की ज़रूरत नहीं है।”

–"फिर भी मैं पूछता हूँ कि आप उसे वापिस पहुँचायेंगे या नहीं?"

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