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बिखरे मोती ]
 


खेतसिंह गंभीरता से बोले—मैं तुम्हारी किसी बात का उत्तर नहीं देना चाहता, मेरे सामने से चले जाओ।


हेतसिंह अब न सह सके, जेब से रिवाल्वर निकाल कर लगातार तीन फायर किए किन्तु तीनों निशाने ठीक न पड़े । ठाकुर साहब जर ही इधर-उधर हो जाने से साफ बच गये । हेतसिंह उसी समय पकड़ा गया । हत्या करने की चेष्टा के अपराध में उसे ५ साल की सख्त सज़ा हो गई । इसके कुछ ही दिन बाद मैनपुरी पड्यंत्र केस पर से उसके ऊपर दूसरा मामला भी चलाया गया जिसमें उसे सात साल की सजा और हो गई। ठाकुर साहब का बाल भी बांका न हो सका।

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यद्यपि ठाकुर साहब के घर उनके कोई भी रिश्तेदार न आते थे किन्तु फिर भी ठाकुर साहब कभी कभी अपने रिश्तेदारों के यहाँ हो आया करते थे । ठाकुर साहब की बुआ की लड़की चम्पा का विवाह था। एक मामूली छपा हुआ निमंत्रण पत्र पाकर ही वे विवाह में जाने को तैयार हो गये । चम्पा ने जब सुना कि ठाकुर साहब आए हैं तो उसने उन्हें अन्दर बुलवा भेजा। चम्पा

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