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बिखरे मोती]
 

लोग न जाने कितनी झूठी खबरें उड़ाया करेंगे पर तुझे तो विश्वास न करना चाहिए।

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चम्पा का विवाह हो गया। चम्पा ससुराल गई और ठाकुर साहब आए अपने घर।

घर आने पर भी चम्पा की वह मार्मिक चोट उनके हृदय पर रह रह कर आघात करती ही रही। बहुत बार उन्होंने सोचा कि मैं इन आदतों को क्यों न छोड़ दूं? जीवन में न जाने कितने पाप किए हैं अब उनका प्रायश्चित भी तो करना ही चाहिए। अब नरेन्द्र (उनका लड़का) भी समझदार हो गया है उसके सिर पर घर द्वार छोड़कर क्यों न कुछ दिन तक पवित्र काशी में जाकर गंगा किनारे भगवद् भजन करूँ? आधी उम्र तो जाही चुकी हैं। क्या जीवन भर यही करता रहूँगा? मेरे इन आचरणों का प्रभाव नरेन्द्र पर भी तो पड़ सकता है। किन्तु पानी के बुलबुलों के समान यह विचार उनके दिमाग़ में क्षण भर के लिए आते और चले जाते। उनका कार्य-क्रम ज्यों का त्यों जारी था।

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