पृष्ठ:बिखरे मोती.pdf/८१

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विवाह के कुछ दिन बाद चम्पा के पति नवलकिशोर के मित्र सन्तोष ने नवलकिशोर को चम्पा समेत अपने घर आने का निमंत्रण दिया । और यह लोग सन्तोष कुमार की बिना किसी प्रकार की सूचना दिए ही उसके घर के लिए रवाना हो गए; सूचना न देकर यह लोग अचानक पहुँचकर सन्तोष कुमार और बुढ़ी अम्मा को आश्चार्य में डाल देना चाहते थे। चम्पा और नवलकिशोर अलीगढ़ के लिए रवाना हो गए। रास्ता बड़े आराम से कटा । गर्मी तो नाम की न थी । रिमझिम-रिमझिम बरसता हुआ पानी बड़ा ही सुहावना लग रहा था ।


जब ये लोग अलीगढ़ स्टेशन पर उतरे, उस समय कुछ अँधेरा हो चला था। गाँव स्टेशन से पाँच-छह मील दूर था; इसलिये नवल ने सोचा कि स्टेशन पर ही भोजन करके तब गांव के लिए रवाना होंगे। चम्पा को सामान के पास बिठाकर नवल भोजन की तलाश में निकला । हलवाई की दुकान पर सब चीजें तो ठीक थीं, पर पूरियाँ ज़रा ठंडी थीं। वह ताज पूरियाँ बनवाने के लिये वहीं ठहर गया।

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