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बिखरे मोती ]
 


उठीं-“ऐसी औरतों का तो इसे बड़ा दर्द होता है। घर में बुलाने जा रही है । जाय कहीं भी मुँह काला करे । पर याद रखना, खबरदार ! जो, उसे घर में बुलाया तो ? मैं अभी से कहे देती हूँ। अगर उस छूत ने घर में पैर भी रक्खा तो अच्छा न होगा ।”

निर्मला धीरे से बोली-"अगर वह आ ही गई तो फिर क्या करोगी, अम्मा जी ?”

अम्मा जी क्रोध से तिलमिला सी उठी तड़प कर बोली-"मार के लकड़ी पैर तोड़ दूँगी, और क्या करूँगी ? तू तो रामू के सिर चढ़ाने से इतनी बढ़ चढ़ के बोल रही है सो मैं रामू को डरती नहीं । तेरा और तेरे साथ रामू का भी मिजाज ठंडा कर दूँगी । ऐसी बज्जात औरतों की परछाई में भी रहना पाप है। उसे घर में बुलाने जा रही है ।

निर्मला ने कहा-"पर अम्मा जी यदि वह आई तो मैं दूसरों की तरह उसे दरवाजे पर से दुतकार तो न दूँगी। मैं यह तो कहती ही नहीं कि उसे सदा ही अपने घर में रखा जाय; पर हाँ, जब तक उसका कोई प्रबन्ध न हो जाय तब तक अगर वह घर के एक कोने में पड़ी रही तो

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