पृष्ठ:बिरहवारीश माधवानलकामकंदला.djvu/१०३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

बिरहबारीशमाधवानलकामकंदलाचरित्रभाषा। ७५ नवढ़ा बाल खिलायबोयथावाज को खेलि ॥ सुसंकत हिलकत हियलगी नहिंपियसों बतरात । निद्रावश चौंकतचकित उझकझझकतसरात ॥ चौ० भोरभयो तमचुर रवकीन्हों। तबउठिमाधव बीणालीन्हों ।। मांगी विदा कंदला पाहीं। कर गहि वालकही के नाहीं॥ अहोयारचाहिये नहिं ऐसी। अब तुमबात कहतहोंजैसी। करीबिहाल इश्कमगमोही । अबमैं जानदेहुं नहिंतोहीं॥ दो भूलिना ऐसी भाषिये ऐसी कटुक जवान । रतनाकर सोमथनकर कहत कितै अवजान ।। चो. तराअाशनइकदिनमाहीं। सुस्तजुस्यो ताबालापाहीं॥ भईसुमारमारबशप्यारी। ताहिआयसब सखिन निहारी ।। दंडक । मारतै सुमारसुकुमारअंग २ जाको नेकनसमान ऐसी निद्रामाँझमोईसी । अरुणकटाक्षतारे टरतनाहिंटरिरही स्वेदक- नछाई देहदरदमें मोईसी ॥ बोधाकवि टूटेहार बारछहरातक. ज्जलकपोलमें सारीरेनरोईसी । धोई ऐसी सूरतबिसूरतसी सेज बीचपड़ी वहवाल देखी छोईसीनिचोईसी॥ इतिश्रीमाधवानलकामकंदलाचरित्रभाषाविरहीसुभान सम्बादेकामावतिखंडेपंचदशस्तरङ्गः॥ इश्कमिजाजीनाम सोरहवाँतरंग प्रारंभः) छंदपधारिका । तव सखिन आय दीनों जगाय । क्रमसहित तिन्हें मज्जनकराय ॥साजे श्रृंगारवालाप्रवीन । द्विजनित्य नेम करि बीणलीन ॥ इकसेज बैठउमगे उमेद । लागे बतान ते नाद भेद ॥ बूझो सुकंदला बालमंत ।मोहिं नादभेद समझाव कंत॥ भाज गौरिनंद करवीणधार । दिज लग्यो कहननादै विचार॥ है पराचीन मतलख्यो जैम । हाँकहत रागको भेदतेम ।। दो० रागभूप भैरव प्रथम बाला पांच बखान ।