पृष्ठ:बिरहवारीश माधवानलकामकंदला.djvu/१६२

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१३४ बिरहबारीशमाधवानलकामकंदलाचरित्रभाषा। छब्बीसवांतरंगप्रारम्भः॥ (अथलीलावतीकीबारहमासी) दो० माधोनल कामावती काम कंदला गेह । लीलावतिविरहिनिइतब्याकुलतासुसनेह ॥ जेठमास पुहुपावती तजीमाधवामित्त। तादिनते लीलावती धीरज धरयोनचित्त । सुखितहोत संयोग में निसरभसौरभचंद । बागाड़ाग सुराकसब विरहिनको दुखदंद॥ (ज्येष्ठ) प्रमानकाछन्द । नसेठआजबड़ी जेठनकरीरी। पुकारैसखीधाय हाहामरीरी।।बड़ीज्वालयज्ञ जरीजातदेही।बुझैनाबिना विप्रमाधी सनेही ॥ चढ़ीचौखटा नौखटालो निहारै। दिशाचारहरैके हापु- कार।कहूंधरियाथूरिया लोगगावै ।जरेपैमनो भीडलोनलगावै॥ मरेकोकिला याकरेशोरमाई। ह.प्राणपापी पपीहाकसाई॥ज- चंद्रिकाचंद्र पापीधरैरी । विनामाधवा प्राणेमरहरैरी॥ निशासां- वरीप्रेतकी जोयजैसी। जरैयोगिनीजामगी जोतऐसी ॥ करेंप्रेम संग्राम योजाननीके। चढ़ीचौखटाजेत्रियासाथपीके॥ कहाँटेरका- पैनकोऊसुनैरी । बिनाजानवा पीरकोधोगुनेरी ।। अहेमाधवा २ योपुकारै । बिनामाधवा साधवाको सम्हारै ॥ चौ• सुनसुमान लीलावतिनारी। विरहदवाग जरतसुकुमारी।। ग्रीषमतपन भोरअतिहोई। पियबिछुरे सहायनहिंकोई॥ मूर्छितपड़ीसेज परकामिनि । विषसोंबासर यमसीयामिनि ॥ बूड़तउछलत दिवस बितावत । विरहसिंधुको पारनपावत ।। सो. माधोमेरीपीर यह जगकोइ जानतनहीं। जानतनहीं शरीर रजामजावाकिफइन्हें ।। स० हियआनकेयो जियजानतही जबलौनहिं आनको जा- हिरहै । मनमेंगुनआवै कहैनबनै निशिवासर तावत ताहिरहै ।