पृष्ठ:बिरहवारीश माधवानलकामकंदला.djvu/२६

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तरंग विषय पृष्ठसे पृष्ठतक जल न खाना चाहिये यहहाल राजापढ़िके ढंढोरापिटाके एकवेश्याके द्वारामाधवा नल कापतापायरथपरचढ़ायअपनेपास बुलाना॥ ८६ ६६ माधवानलब्राह्मण और राजा विक्रमका वार्तालाप,राजाका माधवानल सेयहकहना किउज्जैन नगरीमें जिसस्त्रीकोपसन्दकरो उससे तुम्हारा संगमहोवै यहसुनके ब्राह्मण का न माननातबराजाकाफौजदारकोबुलाके यहकहनाकिआपनगाड़ाक्योंनहींवजातेहैं। २० राजाविक्रमका सेनसाजके माधवानलको लेकेकामावती नगरी मेंजाना औरराजाका वैद्यबनके कामकन्दलाके पासजाना वहांपर- स्परवार्ताहो के राजाका यहकहना कि जिस माधवानलके विरहमेंतूदुःखितहैवहमरगयाहै यहसुनके कामकन्दला कानाशहोनाफिररा जाका यहसखियोंसे कहना किमें चारपहरके भीतरमें आकेइसको जिलादूंगा यहकहके चलेआना ॥ २१ विक्रमराजाकाकामकन्दलाकेमरनेकाहाल माधवानल सेकहना यहसुनके माधवानल काभी देहत्याग करना तबराजाका अत्यंत शोचकर चितारचाके माधवानलके साथज- लनेकाविचारकरना और उसीसमयमेंबैताल काअमृतलेके माधवको जिलानाऔर राजा काअमृत लेजाकर कामकन्दला कोभी जि- लाकर परस्पर वार्तालापहोना ।। १०४१११ १११११८