पृष्ठ:बिरहवारीश माधवानलकामकंदला.djvu/४

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माधवा नल हुआ और रति राजकन्या भई पर उसके ग्रहों से जाना गया कि इसमें सब वेश्या के लक्षणपाये जायेंगे राजा ने इस बातके सुननेपर उसबालिकाको कटेहरामें रख नदीमें बहा दिया जिसको एकनटने देख नदीसे निकाल खोलने पर एक स्वरूपवती कन्यापाई और प्रसन्नहोकर उसे अपने घरलाया पा लापोशा और उसे नादविद्यासिखलाय प्रति प्रबीण कियाऔर उसे राजा कामसैनके सभा में लेगया जो कि कामावती नग रीमें राज्यकरताथा उस नटने इस कन्याको उसी राजाकोसौंप बहु द्रब्य पाय घर को लौटआया अब कामदेव का वृत्तान्त सुनि ये कि उसने ब्राह्मणके घर जन्मलिया और नाम उसका माधवा नल रक्खागया जो सर्व विद्याओं में प्रवीणहो बहुधा बीणा बजाया करताथा अब यह जानना चाहिये कि किसी समय में लीलावती ने जन्म लियाथा कि जिसका गणितशास्त्र में ली. लावती नाम का ग्रन्थ अबतक प्रचलित है उसी समयमें एक विद्धान ब्राह्मण ने लीलावती से शास्त्रार्थ किया और परास्त होजाने पर उसको यह शापदिया कि तुझको वैधव्यका दुःख भोगना पड़ेगा इस शापके पश्चात् लीलावती ने बहुत तपस्या कर महादेव जी को प्रसन्न किया और यह बरमांगा कि हमको कामदेव ऐसा पुरुष मिलै जिसपर श्रीभोलानाथजीने एव मस्तु कह उसकोमन वांछितवरदान दियाजब उसकाजन्म दूसरा पुहु पावती नगरी में रघुदत्तनामक ब्राह्मण के घरमें भया जो वहाँके राजाका कर्मचारीथा जिसके घरमें थोड़ेही कालमें वहकन्या सर्व विद्यामें प्रवीणहो यौवन अवस्था को प्राप्तभई जो एक दि- वस अपनी सहोलियों के साथ श्रीदुर्गा देवी के निमित्त पुष्पवा- टिका में गई जहां पर माधवानलबीण लिये पंचमरागका अला प करताथा वह नवयौवना पूजनकरने के पश्चात् उस वाटिका के मनोहर पुष्पोंकी सुगंध लेती हुई उस स्थानमें गई जहां मा- धवानल बीण बजा रहाथा उसके स्वरूप को देख लीलावती