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बिहारी-रत्नाकर

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विहारी-रत्नाकर ( अवतरण )—सखी नायिका की विरह-दशा नायक से निवेदित करती है ( अर्थ )-विरह ने [ उसको यद्यपि ] ऐसा [ दुबला ] कर दिया है [ कि ] मृत्यु [ उसको ] चाहती ( खोजती ) है, [ किंतु ] आँखौं पर चश्मा लगाने पर भी नहीं पाती, तऊ (तथापि) [वह] नीच [विरह उसकी ] गैल (पैड़) नहीं छोड़ता [अर्थात् इस पर भी उसका विरह दूर नहीं होता। तुमको दया नहीं आती कि जा कर उसका विरह-दुःख मिटा दो ] ॥ जपमाला, छापैं, तिलक सरै न एकौ कामु । मर्न-काँचै नाचै बृथा, साँचै राँचै राम् ॥ १४१ ।। जपमाला=जपने की माला ।। छापें = छापे से, तप्त मुद्रा इत्यादि से ॥मन काँचै= कच्चे मन वाला ही, विना सच्ची भाक्त वाला ही ।। साचै सच्चे ही से, सच्ची भक्ति वाले ही से।। चै=रंजित होता है, प्रसन्न होता है । ( अवतरण )-बनावटी भक्ति पर कवि की उक्ति है ( अर्थ )—जपमाला, तप्त मुद्रादि, [ तथा ] तिलक से एक भी ( कुछ भी ) काम नहीं सरता ( निकलता )[ क्योंकि ये सब तो ऊपरी दिखाव मात्र हैं ]। कच्चे मन वाला ही वृथा ( विना कुछ लाभ के ) नाचा करता है, राम [तो] सच्चे ही से रचता है ( प्रसन्न होता है) ॥ जौ वाके तन की दसा देख्यौ चाहत अाए । तौ बलि, नैक बिलोकियै चलि अर्चक, चुपचापु ।। १४२ ॥ अचकॉ= एकाएक, ऐसे समय जब आपके वहाँ पहुँचने की संभावना न हो । ( अवतरण )-प्रोषितपतिका नायिका की दूती ने नायक से नायिका की विरह-दशा कुछ इस प्रकार वर्णन की कि वह विस्मित सा हो गया। उसके विस्मय से लाभ उठा कर चतुर ठूती उसको चटपट नायिका के पास बे चलने का डौल डालती है। उसकी अकथनीय दारुण दशा का प्रभाव नायक के हृदय पर जमाती हुई वह यह व्यंजित करती है कि उसकी दशा आपके चलने के समाचार मात्र से परिवर्तित हो जायगी, और अपने कथन को सत्य प्रमाणित करने के व्याज से नायिका को प्रेमाधिक्य भी जताती है ( अर्थ )-यदि [ आपको मेरे कहने का विश्वास नहीं है, और ] आप [ स्वयं ]उसके तन की [ सच्ची ] दशा ( दयनीय अवस्था, जिसे सुन कर आप विस्मित हो रहे हैं ) देखा चाहते हैं, तो मैं बलिहारी जाती हैं, [प] नैंक अचकाँ[तथा] चुपचाप (अपना चलना किसी पर प्रकट किए विना, जिसमें कि कोई आपके चलने का समाचार उसको न दे सके) चल कर [ गुप्त रीति से ] देख लीजिए, [ जिसमें आपको मेरे झूठ सच का झान हो जाय; क्योंकि यदि उसको आपके आगमन की सुनगुनी लग जायगी, तो हर्ष से उसका शरीर प्रफुल्लित हो जायगा, और वह दशा न रहेगी, जिसका वर्णन मैं ने किया है । और, यदि आपको मेरे कहने का विश्वास है, तो आपको तुरंत चलना नितांत उचित ही है ] ॥

  • १. बापा (४, ५) । २. काचें मन ( १ )। ३. स्याम ( २ ) । ४. औचक ( २, ४)।