पृष्ठ:बिहारी-रत्नाकर.djvu/३४२

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अं* परै न अरे, परेको अरुन-बरन अरुनसरोरुह अरी, सरी सटपट अलि, इन खेइन-सरनु अर हैं टरत अब तजि नाउँ अपनै कर गुद्दि अपने अंग के अनैं अपनें मत लगे अपनी गरजनु अनी बड़ी उमड़ी अनरस हूँ अनत बसे अनियार, दीर अधर धरत अति अगाधु अर्ज न आए अर्ज तखोना अंग अंग-प्रतिबिंब अंग-अंग-नग अंग अंग छवि अँगुरिनु उचि [अ] दाहों की अकारादि सूची

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  • * * * * * * * * * * * * मानसिंह की टीका * * * * * * * * * * * * ६ | विहारी रत्नाकर

उपस्करण-१ कृष्ण कवि की टीका १ ४६३ | ३८६ । ५७ १ | ५ ६ ५१९ ४५६ । । | १: ५५७ ६८३ ३७१ चंद्रिका

  • * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * | हरिप्रकाश-टीका ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ | लाल-चंद्रिका * * ० हैं ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ६ * * ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ | ऋगार-सप्तशती
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| रत-कौमुदी