पृष्ठ:बिहारी-रत्नाकर.djvu/३४३

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उने हरकी उनकी दिनु उति गुड़ी इह आस उठि, ठकु ठकु इ६ि को इहि वसंत न इहिँ छैहाँ उयौ सरद-राका-ससी इन दुखिया रती भीर हैं। इत ते उत रत श्रावति इक भीजै, चहले [ उ ] | अावत जात आयौ मीतु अषु दियो अड़े दे असे आज कळू श्राप अापु अहे, दड़ी अहे, कहै न [ 7 ] [३] दोहों की अकारादि सूची ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ मानसिंह की टीका ॐ ॐ | बिहारी-रत्नाकर २३१६३१ । २६४ | ३११ बिहारी रत्नाकर टीका

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ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

  • * | हरिप्रकाश-टीका

ॐ | लाल-चंद्रिका ॐ ॐ शृंगार-सप्तशती

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  • * | रस-कौमुदी